- Mahakal Temple: अवैध वसूली के मामले में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, एक आरोपी निकला HIV पीड़ित; सालों से मंदिर में कर रहा था काम ...
- महाकाल मंदिर में बड़ा बदलाव! भस्म आरती में शामिल होना अब हुआ आसान, एक दिन पहले मिलेगा भस्म आरती का फॉर्म ...
- भस्म आरती: मंदिर के पट खोलते ही गूंज उठी 'जय श्री महाकाल' की गूंज, बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर भस्म अर्पित की गई!
- भस्म आरती: मकर संक्रांति पर बाबा महाकाल का किया गया दिव्य श्रृंगार, तिल्ली के लड्डू से सजा महाकाल का भोग !
- मुख्यमंत्री मोहन यादव का उज्जैन दौरा,कपिला गौ-शाला में गौ-माता मंदिर सेवा स्थल का किया भूमि-पूजन; केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल भी थे मौजूद
23/84 श्री मेघनादेश्वर महादेव
23/84 श्री मेघनादेश्वर महादेव :
भविष्यन्ति नरा भूमौ कृतार्थास्तत्प्रभावतः।
दर्शनादस्य लिङ्गस्य कामवृष्टिर्भविष्यति।।
स्कन्द पुराण, त्रयोविंशोअध्यायः (श्लोक ३९)
परिचय : श्री मेघनादेश्वर महादेव की स्थापना की कथा पुण्य कर्मों की महत्ता और दोषों के दुष्परिणाम की ओर इंगित करती है। राजा के दोषों एवं दुष्कर्मों के कारण ही वर्षा व्याधित हुई।
पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय द्वापर और कलियुग की संधि पर मदांध नमक अहंकारी राजा हुआ था। वह राजा अहंकारी व दुष्ट प्रवत्ति का था। राजा के दोषों व पापों के कारण बारह वर्षों तक वर्षा नहीं हुई। वर्षावृष्टि न होने की स्थिति में नदियां सुख गई, तालाब अदृश्य हो गए, यज्ञ वेदाध्ययन आदि सब बंद हो गए। पृथ्वी पर सभी दिशाओं में हाहाकार मच गया। यह देखकर इंद्र आदि देवता क्षीरसागर के उत्तर में श्वेतद्वीप स्थित भगवान जनार्दन के पास गए। वहां पहुँच उन्होंने भगवान को प्रणाम किया एवं उनकी स्तुति करने लगे। तब भगवान ने पूछा कि आप लोग क्यों क्यों पधारे हैं एवं आपकी अभिलाषा क्या है? तब देवतागण बोले कि प्रभु कई वर्षों से वृष्टि नहीं हुई है, कृपया कोई उपाय कीजिये।
देवताओं की बात सुन भगवान जनार्दन कुछ देर के लिए ध्यानमग्न हो गए फिर बोले कि आप सभी कृपया महाकाल वन जाएं। वहां प्रतिहारेश्वर के ईशान कोण में एक दिव्य लिंग है जिसमें वृष्टि करने वाले मेघ निवास करते हैं। आप सब वहां जाएं और भक्ति भाव से उस लिंग का पूजन अर्चन करें। उनके पूजन अर्चन से वृष्टि जरूर होगी। श्री भगवान की बात सुन सभी देवगण महाकाल वन स्थित उस दिव्य लिंग के पास पहुंचे और भक्तिमय भाव से स्तुति करने लगे। स्तुति के फलस्वरूप उस लिंग से कई मेघ प्रकट हुए और आकाश में छाकर वृष्टि करने लगे। सम्पूर्ण सृष्टि फिर से सुस्थिर हुई और पृथ्वी के सभी जीव-जंतुओं, पक्षियों तथा मानवों का संताप दूर हुआ। देवतागण इसे अमृत वर्षा मान बेहद प्रसन्न हुए एवं उन्होंने उस लिंग का नाम मेघनादेश्वर रखा।
दर्शन लाभ : मान्यतानुसार श्री मेघनादेश्वर महादेव के पूजन अर्चन करने से वृष्टि में वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से पितरों को शांति मिलती है।
कहाँ स्थित है : उज्जयिनी स्थित चौरासी महादेव में से एक श्री मेघनादेश्वर महादेव छोटा सराफा में नृसिंह मंदिर के पीछे स्थित है। यहाँ आने के लिए सिटी बस के अलावा निजी वाहनों का विकल्प है।